The Huemanist is a website dedicated to literary aspects of Art, where we try to provide audience the insights of Art history, Aesthetics, Indian Art, Paintings, Artists, Mediums and much more.
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राजा राजा वर्मा, यह नाम कला इतिहासकारों , कला समीक्षकों तथा कुछ कलाकारों के अलावा ज़्यादातर लोग संक्षिप्त में नहीं जानते होंगे | रवि वर्मा की जीवनी पढ़ते वक्त उनके निजी जीवन के बारे में ज़्यादा दिखाई भी नहीं पड़ता | राजा वर्मा (रवि वर्मा के छोटे भाई) , जिनका उनके जीवन में बड़ा प्रभाव रहा उनके बारे में भी कम ही देखने मिलता है | मगर हम जब भी पश्चिमी चित्रकारों की बात करें तो उन पर लिखा साहित्य, फिल्में, डॉक्यूमेंट्री, आदि संक्षिप्त में बनी मिलती हैं| उत्तर - प्रभाववादी डच चित्रकार विन्सेंट वैन गॉघ की जीवनी पढ़ते वक्त उनके निजी तथा पारिवारिक संबंधों के बारे में काफी पढ़ने मिलता है , उसमे भी अहम् तौर पर उनके जीवन में उनके छोटे भाई थिओ के योगदान के बारे में निश्चिन्त ही| पश्चिमी देशों में दस्तावेजीकरण का हमेशा से ही बहुत महत्त्व रहा है| जब रवि वर्मा कार्यरत थे , तब भारत अंग्रेजों का गुलाम था , हमारे अपने संघर्ष थे| एक तरफ रियासतें अपना स्वतंत्र स्थान रखे हुए थीं , त
Whenever we talk about the muse, western art history pops out with some exclusive examples of artists and beautiful ladies who inspired the artists ranging from Renaissance to contemporary art. India’s primitive kind of art did not give us an account of the lovely ladies who posed for the artists. Highly muse oriented works of Ravi Varma and his introduction to the western style of realistic painting first time in India made his paintings excel during the period. He exceeded all the artists of the prestigious court of Travancore and even won many national and International awards. In 1904 the imperial government awarded Ravi Varma with Kaiser-i-Hind Medal. The award mentioned the title 'Raja' for the first time against his name. Ravi Varma won Governor’s Gold Medal in 1873 for the painting Nair Lady Adorning Her Hair Raja Ravi Varma and brother Raja Varma left Travancore after the death of his patron Raja Aiyiliam Thirunal and settled in Bombay (now Mumbai). It
प्राचीन ग्रीस के कालखंड में देवराज ज़्यूस की नौ पुत्रियों ने चित्रकारों को अपनी सुंदरता से प्रेरित किया , तब से लेकर अभी तक कुछ भी नहीं बदला। चित्रकारों को प्रेरणा की ज़रूरत हमेशा से रही है। कला के इतिहास के पन्नो का जब भी संस्मरण किया जाता है , प्रबोधन काल से लेकर प्रभाववाद में ख़ास तौर पर सुन्दर स्त्रियों के चित्र दिखाई पड़ते हैl इन्हे अंग्रेजी में म्यूज़ कहा जाता है , जिन्हे हम वाग्देवता के नाम से जानते है। मगर क्या इस परिस्थिति का विपरीत स्वरुप देखने को मिलता है ? प्रबोधन काल से स्त्रियां पुरुषप्रधान कला जगत में अपना लोहा मनवाने के लिए संघर्ष करती आई है। संघर्ष के बावजूद इन महिलाओं ने अप्रतिम कलाकृतियां साकार कर दिखाई है। हलाकि उन चित्रों में पुरुषों का चित्रण पाना दुर्लभ है। विश्व के सभी प्रमुख कला संग्रहालयों में स्त्र
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