Women ≠ Muse (Hindi)

प्राचीन ग्रीस के कालखंड में  देवराज ज़्यूस की नौ पुत्रियों ने चित्रकारों को अपनी सुंदरता से प्रेरित कियातब से लेकर अभी तक कुछ भी नहीं बदला। चित्रकारों को प्रेरणा की ज़रूरत हमेशा से रही है।कला के इतिहास के पन्नो का जब भी संस्मरण किया जाता हैप्रबोधन काल से लेकर प्रभाववाद में ख़ास तौर पर सुन्दर स्त्रियों के चित्र दिखाई पड़ते हैl इन्हे अंग्रेजी में म्यूज़ कहा जाता हैजिन्हे हम वाग्देवता के नाम से  जानते है।  मगर क्या इस परिस्थिति का विपरीत स्वरुप देखने को मिलता है ?
प्रबोधन काल से स्त्रियां पुरुषप्रधान कला जगत में अपना लोहा मनवाने के लिए संघर्ष करती आई है। संघर्ष के बावजूद इन महिलाओं ने अप्रतिम कलाकृतियां साकार कर दिखाई है। हलाकि उन चित्रों में पुरुषों का चित्रण पाना दुर्लभ है। विश्व के सभी प्रमुख कला संग्रहालयों में स्त्रियों के नग्नचित्र लाखों की संख्या में पाए जाते है।  इसके बावजूद प्रबोधन काल के कईं सदियों के पश्चात कालमहाविद्यालयों में स्त्रियों को नग्नचित्र के वर्ग में बैठने की अनुमति नहीं दी जाती थी। तो प्रबोधन काल कला के लिए पुनः जागरूकता थी ? मगर कला की चाह रखने वाली महिलाओं के लिए नहीं। फेड गेलीजिया और सोफ़ोनिस्बा अन्गुइसोला जैसी महिला चित्रकारों ने बड़ी मुश्किल से इस पुरुष प्रधान क्षेत्र में अपना वर्चस्व दिखाया। 


फेड गेलीजिया, सेल्फ पोर्ट्रेट, जूडिथ विथ थे हेड ऑफ़ होलोफरन्स, तैल रंग      


सोफ़ोनिस्बा अन्गुइसोला, सेल्फ पोर्ट्रेट, तैल रंग


अर्टेमेशीआ जेनटिलिस्कीएक दृढ निश्चय की  कलाकारबारोक काल में महान चित्रकारों के बिच अपना स्थान बनाने में सफल रही। उनके कईं चित्रों में दंतकथाओं के स्त्री पात्रों के चेहरों में उनका खुद का चेहरा दिखाई पड़ता है। वे अपनी भावनायें इस तरह चित्रों के माध्यम से बताती।

अर्टेमेशीआ जेनटिलिस्की, सेल्फ पोर्ट्रेट, तैल रंग
अर्टेमेशीआ जेनटिलिस्की, सूज़ैना एंड द एल्डर्स, तैल रंग


कलाविश्व में एक और पुनः जागरूकता १९वी  सदी के मध्य में दृक प्रत्ययवाद के रूप में आयी। यहाँ चित्रकार वास्तववाद के आयामों को भूल कर दृश्य की एक झलक को अपने कैनवस पर पकड़ने में जुट गए। इस शैली में गाढ़े रंगो का इस्तेमाल होने लगा। एडुअर्ड मानेक्लॉद मोनेपिअर रेनुअरकामिल पिसरोएडगर देगा जैसे दिग्गज चित्रकारों के बिच बर्थ मोरिसॉट और मैरी कसाट जैसी महिला चित्रकारों ने दृक प्रत्ययवाद के आविष्कारों में पूरी तरह साथ दिया। क्लॉद मोने ने अपने जीवनकाल के आधे से अधिक काम निसर्गचित्र ही कियेजब की बाकी साथी वास्तववाद को चुनौती देकर व्यक्तिचित्र को प्रत्ययवाद के आविष्कारों से नया रूप दे रहे थे। इनमे चित्रकार रेनुआरदेगालौत्रेक ने अपनी प्रेमिकाओं के भावमय रूप के अनेक चित्र किये। जब की स्त्री चित्रकार यहाँ समाज के दायरे में रहकर अपने पारम्पारिक जीवन का चित्रण इस नयी शैली में कर रही थीं।  बर्थ मोरिसॉट के  चित्रों में अपने वैवाहिक जीवन की झलक दिखाई पड़ती हैतो मैरी कसाट ने भी बच्चों और घरेलु जीवन को दर्शाया। बर्थ के लिए उनके म्यूज़ उनके पति युगीन माने (चित्रकार एडुअर्ड माने  के भाईऔर उनकी पुत्री जूली थी। यहाँ पुरुष चित्रकार सुर्ख़ियों में रहते,  तो बर्थ और मैरी होने पारम्परिक जीवन को कला  साथ संतुलन बनाकर एक सरल जीवन व्यतीत कर रही थी। 



बर्थ मोरिसॉट, द क्रैडल, तैल रंग 

मैरी कसाट, ब्रेकफास्ट इन बेड, तैल रंग 


२०वी सदी कला जगत में कईं  बड़े बदलाव लेकर आयी। मतिस और पिकासो जैसे चित्रकारों  ने कला के सारे नियमों को तोड़ कर कला को स्वतंत्र करने का दावा किया।महिलाओं को वक्त के साथ साथ स्वतंत्रता मिलने लगी। "मेरी म्यूज़ मई खुद हूँ", कहने वाली चित्रकार फ़्रीदा काहलों ने कलात्मक स्वतंत्रता का भरपूर आनंद उठाया। मगर निजी जीवन में उनका जीवन काँटों भरा था। बस में हुए अकसमात से ठीक हो जाने के बाद भी फ़्रीदा कमज़ोर हो चुकी थी। दिएगो रिवेरा के साथ फ़्रीदा का तनाव भरा सम्बन्ध, उनकी मानसिक स्वस्थ्य को तकलीफ पहुंचा रहा था। इन चीज़ों से जूझती हुई फ़्रीदा अंदर से मज़बूत और दृढ़ बन गयी थी।  उनके सारे भाव, उनकी पीढ़ा  उनके चित्रों द्वारा दिखाई देते।

फ़्रीदा काहलो, दिएगो एंड आय, तैल रंग 


फ़्रीदा काहलो, फ़्रीदा एंड दिएगो रिवेरा, तैल रंग 

"मेरे पास किसीकी म्यूज़ बनने जितना समय नहीं था, मैं एक चित्रकार बनने के लिए समाज और  मेरे परिवार से लड़ रही थी।" लेओनारा कॅरिंगटन की यह पंक्तियाँ खुद उनकी बहादुरी बयान करती है। लेओनारा मशहूर अतियथार्थवादी लेखक और चित्रकार मॅक्स अर्नस्ट की पत्नी, जो खुद भी उसी शैली की चित्रकार थी। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान पति से अलग होते वक्त लेओनारा मानसिक तनाव में चली गयी थी। उस दौरान पति मैक्स का यह चित्र किया जो काफी प्रख्यात हुआ। 


लेओनारा कैरिंगटन, पोर्ट्रेट ऑफ़ मैक्स अर्नस्ट 

कला जगत में स्त्रियों के नग्नचित्र की परंपरा को तोड़, २०वी सदी प्रभावी चित्रकार यूनिस गोल्डन ने जब पुरुषों के निर्वस्त्र चित्रों को चित्रित किया, तब लोग हैरान रह गए। हलाकि चित्रकला महाविद्यालयों में पुरुषों को भी स्त्रियों की तरह शरीरशास्त्र के अभ्यास के लिए बिलकुल बिठाया जाता था, मगर यूनिस के चित्र बहुत विवादास्पद थे। 
इन्हे यूनिस 'मेल लैंडस्केप' कहती। यूनिस का मानना यह था की  सदियों से स्त्री का नग्न शरीर चित्रकारों की प्रेरणाओं, कल्पनाओं और इच्छाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता आया है। वे कहती,
"पुरुषों की तरह स्त्रियों की भी कामुक इच्छाएं होती है, मेरी भी है। मैं  मेरे चित्रों में वह दर्शाऊँगी।  कईं  स्त्री चित्रकारों ने खुद के निर्वस्त्र शरीर को अपने चित्रों में दर्शाती आयी है। उनके लिए यह कलात्मक स्वतंत्रता एवं हिम्मत का प्रतीक होगा। मगर मेरे चित्र महिलाओं के लिए मुक्ति का चिन्ह होंगे।

यूनिस  गोल्डन, मेल लैंडस्केप



यूनिस  गोल्डन, मेल लैंडस्केप

किसी स्त्री की प्रेरणा लेकर चित्रकारी की जब बात आती है, तो सबसे पहले पिकासो का नाम आता है। और क्यों न आये, पिकासो की पूरी कारकिर्दी में उनकी सात सबसे चर्चित प्रेमिकाओं से प्रेरित होकर किये गए हज़ार चित्र इस बात का गवाह है। उनमे से छठी प्रेमिका फ्रांसवायस जीलोट को कैसे भूल सकते है, जिन्होंने पिकासो के साथ अपनी ज़िन्दगी के दस साल गुज़ारे। जीलोट जब पिकासो से मिली तब सिर्फ २० वर्ष की अल्लड़ लड़की थी, जो अपने पिताजी के खिलाफ जाकर चित्रकला सीखना चाहती थी। दस वर्षों के दौरान पिकासो ने कभी फ्रांसवायस को कभी ख़ास रूप से कुछ नहीं सिखाया, वे मानते थे के चित्रकला सिखाई नहीं जाती, उसके लिए खुद दिनरात काम कर के नए आविष्कार करने पड़ते हैं। जीलोट  ने पिकासो के साथ रहने मात्र से बहुत कुछ सिख लिया था। इसके साथ साथ जिलोट को पिकासो की हर उन प्रेमिकाओं की तरह उनका  अजीब स्वभाव और व्यभिचारिता को  भी संभालने पड़ता था। दस साल बाद जब सब्र का बाँध टुटा तब फ्रांसवायस अपने दोनों बच्चों को लेकर पिकासो से दूर चले गयी। पिकासो के पुरे जीवनकाल में यह पहली बार हुआ था, के कोई पिकासो को छोड़कर जा रहा था। क्योंकि सालों से यही होता आया था के पिकासो के किसी प्रेमिका से कंटाल जाने पर वह कोई और लड़की में अपनी प्रेरणा ढूंढने जाते, उनकी प्रेमिका या तो खुद हारकर चली जाती या तो पिकासो उसे छोड़ देते।  इससे पिकासो के अहंकार को बहुत ठेस पहुंचा था।  जिलोट ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। शादी कर क वह पूर्ण रूप से चित्रकला को अपना व्यवसाय बना लिया। कुछ सालों बाद जीलोट ने पिकासो के साथ बिठाये उन दस सालों को एक पुस्तक के रूप में लोगों के सामने रखना चाहा, जिसके विमोचन को पिकासो ने रोकने के कईं प्रयास किये मगर असफल रहे। 'लाइफ विथ पिकासो' नामक यह पुस्तक से जो पैसों  की कमाई हुई, उसको जीलोट ने पिकासो के खिलाफ केस में खर्च किये जिससे उनके पुत्र क्लॉद और पुत्री पलोमा को पिकासो के कानूनी वारिस का दर्जा मिल सके। यह दृढ निश्चित कलाकार आज भी जीवित है, तथा ९७ वर्षों की उम्र में निरंतर कला को दे रही है।  




कला के इतिहास में से यह कुछ चुनिंदा साहसी महिला चित्रकार थीं, जिन्होंने इस पुरुषप्रधान कलाजगत में अपना स्थान बनाया और आगे की पीढ़ी को लैंगिक समानता का नमूना पेश किया।                                                     

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